किताबो के समुन्दर में छलान लगा के,
मर मर के तैरना सीख लिया.
तैरते तैरते मंजिल तक पहुंचे,
और हमने जीना छोड़ दिया.
खुद जीना नहीं जानते थे,
पर अपने बच्चो को जीना सिखा दिया.
उनकी ख़ुशी के लिए,
अपनी ख़ुशी बेच दी,
खून पसीना एक कर लिया,
और हमने जीना छोड़ दिया.
ज़िन्दगी की दौड़,दौड़ रहे हम,
चैन की सांस भी ना ले पाए,
एक झोका, ठंडी हवा का भी ना ले पाए,
गिरते कादमोको संभाल लिया,
और हमने जीना छोड़ दिया.
सफ़र कट रहा है,
समय बदल रहा है,
सोचा,
चैन की सांस अब ले पाएंगे,
एक झोका ठंडी हवा का,अब महसूस कर पाएंगे,
जो ना कर पाए अब तक, वो अब कर लेंगे.
पर शायद अब अंत आ गया है.
और,
जब मुडकर देखा हमने पीछे,
पूछा हमने खुदसे,
ना जाने क्यों, हमने जीना छोड़ दिया???
- Tejas Kudtarkar.